Navchandi Pooja नवचण्डी पूजा का विधान

 


    Navchandi Pooja नवचण्डी पूजा का विधान


Navchandi Pooja 7 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक शारदीय नवरात्रों का पर्व बहुत ही धूम धाम से हम सभी एक साथ मिलकर मनाएंगे। नवरात्र के दौरान हमारे अंदर एक नौ ऊर्जा का संचार होता है एक शक्ति का संचार होता है। हमारे अंदर बहुत पॉजिटिविटी का संचार होता है। मां दुर्गा की पूजा और अर्चना अपने आप में बहुत महत्व रखती है। यह जो नवरात्रि के पावन पर्व है इसमें नौ दिन तक हम दुर्गा की पूजा आराधना में और भक्ति में लीन रहते हैं। नवरात्रि में कुछ विशेष पूजाओं का बहुत अधिक महत्व है। उन पूजाओं के अंदर दुर्गा सप्तशती का तो पाठ है ही इसके अलावा आज आपको एक विशेष पूजा के बारे में बताएंगे। वो पूजा जो तंत्र को काटने वाली है वो पूजा जो शत्रुओं का नाश करने वाली है वो पूजा जो समृद्धि धन और ऐश्वर्य प्रदान करने वाली है वो पूजा जो मोक्ष प्रदान करने वाली है वो पूजा जो हमारे बाधाओं को दूर करने वाली है उस पूजा के बारे में बताएँगे क्योंकि नवरात्र के बारे में लगभग प्रत्येक व्यक्ति जानता है। नौ दिनों में नो दुर्गाओं का आह्वान किया जाता है। नौ शक्ति का संचार किया जाता है परन्तु इस पूजा के बारे में बहुत कम लोगों को ही ज्ञात होगा। हम आपको वही पूजा बताने वाले है वो पूजा है नौ चंडी पूजा जो कि नौ दिनों के दौरान की जाती है। इस पूजा में अर्गला, कीलक और कवच इन सभी का पाठ किया जाता है। 3 चरित्र प्रथम, मध्यम और उत्तर ये चरित्रों का पाठ किया जाता है। प्रथम चरित्र के अंदर एक पाठ होता है मध्यम चरित्र में तीन पाठ किए जाते हैं और उत्तर चरित्र के अंदर नौ पाठों की व्याख्या की जाती है। जो नवरात्र के अंदर हम मां दुर्गा की पूजा आराधना करते हैं वो बेसिकली यानि मूल रूप से तीन माताओं तीन आदि शक्तियों का स्वरूप है.जिससे ये पूरा संसार बना है। वो आदिशक्तियां है माता पार्वती, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती। इन तीनों माओं के ये नौ विभिन्न रूप हैं जिनका आवाहन जिनकी पूजा हम नवरात्र के दौरान करते हैं और नौ चंडी हवन का ये जो विधान है ये मूल रूप से तीनों आदि शक्तियों के ऊपर निर्भर करता है। ये नौ चंडी हवन हमारे शत्रुओं से हमें बचाती है। विशेष रूप से किसी भी व्यक्ति पर यदि तंत्र क्रिया की गई है तो उस तंत्र क्रिया का तोड़ इस नौ चंडी पूजा के दौरान किया जाता है। साथ ही नेगेटिविटी को दूर करने के लिए यदि घर में आपके वास्तु दोष है तो उसको खत्म करने के लिए धन और सुख संपत्ति में वृद्धि करने के लिए ज्ञान में वृद्धि करने के लिए कोई भी साधना पूर्ण करने के लिए मोक्ष की प्राप्ति के लिए ज्ञान की प्राप्ति के लिए इस नौ चंडी पूजा का विधान किया जाता है। इसका प्रभाव इतना अधिक है उसका छोटा सा समझिए कि पुराने काल में जब सतयुग होते थे देवी देवता और असुर तका तक इस नौ चंडी पूजा के द्वारा मां दुर्गा का आह्वान करते हैं जिससे उनमें शक्ति का संवहन बना रहे और वह कभी भी किसी से पराजित न हो हमेशा बल शाली बने रहें तो देवता और दानवों के द्वारा भी इस पूजा का विधान शास्त्रों में निहित है। ये पूजा नवरात्रि के दौरान की जाती है। इस पूजा का मूल रूप से विधान नौ देवियों पर ही आधारित है। प्रत्येक दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। नौ दिनों तक के पाठ होते हैं और अंतिम दिन हवन का प्रावधान है और इस हवन के दौरान हम भगवान शिव की आहूति, गणेश जी की आहुति, नव ग्रहों की आहुतियां और विशेष रूप से मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आहुतियां देते हैं और विधि विधान से हवन किया जाता है। ये हवन बहुत ही कल्याणकारी रहता है। वैसे भी नवरात्र के दौरान दुर्गा सप्तशती के पाठ का तो सभी को पता है कि बहुत अधिक महत्व सप्त सती से आप समझ गए होंगे कि सप्त सती का मतलब सात सौ सात सहस्त्र यानी दुर्गा सप्तशती का जो पाठ होता है उसमें सात सौ मंत्रों का जाप किया जाता। 700 श्लोक बोले जाते हैं यानी प्रत्येक दिन इस दुर्गा सप्तशती के पाठ को करने से आप सोचिए कि कितना अधिक फल हमें मां दुर्गा का मिलता है नवरात्रि का मिलता है। इसीलिए दुर्गा सप्तशती के पाठ का बहुत अधिक महत्व नवरात्र के दौरान होता है। Navchandi Pooja नवचण्डी पूजा का विधान

  • इस शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन हम मां शैलपुत्री की पूजा आराधना करते हैं जो कि विनम्रता की देवी मानी जाती है और शैलपुत्री की पूजा आराधना से भौतिक और आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति हम करते हैं। उनका आह्वान करके हम भौतिक और आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति करते हैं तो दुर्गा सप्तशती के पाठ प्रत्येक दिन करने से और ये नौ चंडी ऊर्जा और ऊर्जा से हमें मां शैलपुत्री का आशीर्वाद प्रथम दिन प्राप्त होगा। Navchandi Pooja नवचण्डी पूजा का विधान
  • द्वितीय दिन ब्रह्मचारिणी माता की पूजा आराधना की जाती है जोकि एकाग्रता की प्रतीक मानी गई है वह हमारे सभी कष्टों और रोगों का और शोकों का नाश करने वाली देवी है और हमें मोक्ष प्रदान करने वाली देवी भी मानी गई है।  Navchandi Pooja नवचण्डी पूजा का विधान
  • तीसरे दिन हम चंद्रघंटा माता की पूजा आराधना करते हैं जो हमें शीतलता प्रदान करती है जो हमारे क्रोध को नियंत्रित करती है। ये इस मां की पूजा आराधना से हमारे समस्त पाप धुल जाते हैं। हमारी सभी बाधाओं का शमन हो जाता है।
  • चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा आराधना की जाती है और ये अपनी मंद मंद मुस्कान का प्रतीक मानी गई है। ये मां आयु, यश, बल और ऐश्वर्य प्रदान करने वाली देवी के रूप में जानी जाती है और चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा आराधना करने से हमारे इन सभी गुणों में वृद्धि होती है| Navchandi Pooja
  • पांचवें दिन स्कंद माता की पूजा आराधना की जाती है जो कि वात्सल्य का प्रतीक है। वात्सल्यता कि देवी मानक मानी जाती है। ये मां हमारे कुंठा, कलह और हमारे अंदरूनी द्वेष या फिर हमारे घर में कोई द्वेष कलह का वातावरण उन्हें दूर करने वाली ये माता है ग्रह शांति हमें दिलवाती है। हमारे पारिवारिक सदस्यों के बीच में प्रेम और सौहार्द की भावना को उत्पन्न करने वाली देवी है यानि पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा आराधना से हमें हमारी कुंठा का नाश होता है। हमारे कला का हमारे देश का और हमारे आपसी प्रेम में वृद्धि होती है।
  • छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा आराधना का विधान है। मां कात्यायनी निर्मलता का प्रतीक मानी गई है। मां कात्यायनी की पूजा आराधना से धर्म अर्थ काम और मोक्ष की प्राप्ति व्यक्ति कर लेता है। यानी छठे दिन कात्यायनी मां की पूजा आराधना से हमें धर्म अर्थ काम और मोक्ष जो कि मनुष्य के चार गुण भी हैं और ये इन चारों पर मनुष्य का जीवन चलता है। इनकी प्राप्ति हो जाती है! Navchandi Pooja नवचण्डी पूजा का विधान
  • सातवें दिन हम कालरात्रि की पूजा आराधना करते हैं। कालरात्रि की पूजा आराधना से हमें शीतलता कर्म शीलता प्रदान होती है। कर्म शीलता प्रदान करने वाली देवी कालरात्रि है। ये मां हमें भयमुक्त करती है। यदि व्यापार में किसी भी प्रकार की प्रॉब्लम हमें फेस करनी पड़ रही है या सर्विस में हमारे बहुत सारे शत्रु हो गए जिनसे हमें छुटकारा पाना है या हमें हमारी नौकरी में कुछ बाधाएं उत्पन्न हो रही है। नौकरी में प्रमोशन की इच्छा मनचाहा स्थानांतरण नए रोजगार की प्राप्ति करनी है तो उन सभी के लिए इस माह की पूजा करना विशेष कल्याणकारी रहती है। विशेषकर शत्रुओं के नाश के लिए मां कालरात्रि की पूजा आराधना विशेष फलदायक रहती है।
  • आठवी माता महागौरी जो कि उज्वला का प्रतीक मानी जाती है। मां गौरी माता की पूजा आराधना से विवाह में आ रही बाधा दूर होती है। जिन युवा और युवतियों के लिए विवाह में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं जिनका विवाह नहीं हो पा रहा है और उनकी शादी की उम्र हो चुकी है उन्हें विशेष रूप से मां गौरी की पूजा आराधना अवश्य करनी चाहिए। Navchandi Pooja नवचण्डी पूजा का विधान
  • लास्ट देवी सिद्धिदात्री देवी जो भक्त के मनोरथों को सफलता दिलाने वाली। मां के प्रतीक के रूप में जानी जाती है। ये लास्ट दिन की पूजा हमारी सभी साधनाओं की सिद्धि के लिए होती है। विशेष रूप से ये माँ तंत्र को काटने वाली देवी के रूप में जानी जाती है यानी नौ दिनों में नौ माताओं के आह्वान से हमारी कितनी सारी समस्याओं का समाधान हो जाता। Navchandi Pooja नवचण्डी पूजा का विधान

लगभग अगर हम नौ दिन में मां दुर्गा के इन नौ रूपों की भक्ति करते हैं पूजा करते हैं तो हमारे जीवन में आर्थिक प्रत्येक समस्या का समाधान हो जाता है और नौचंदी हवन भी। हवन का उद्देश्य भी इन सभी माताओं को प्रसन्न करने का रहता है और नौ चंडी पूजा के माध्यम से हम इन सभी माताओं को प्रसन्न करके सुख सौभाग्य आरोग्य शत्रु विनाश तंत्र विनाश और ऋण मुक्ति इन सभी बाधाओं को दूर कर देते हैं। तो नौ चंडी हवन का विधान प्रत्येक व्यक्ति को नवरात्र के दौरान अवश्य करना चाहिए लेकिन ये नौ चंडी पूजा का फल सभी व्यक्तियों को ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिले क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति अपने घर में करवाने में असमर्थ रहता है। हमारे संस्थान में भी इस बार शारदीय नवरात्रों के शुभ अवसर पर ये पूजा रखी गई है। इस नव चंडी पूजा के माध्यम से हम नौ देवियों का आह्वान करेंगे। यदि आप हमारे इस पूजा अनुष्ठान से जुड़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए नंबरों पर संपर्क करें और इस पूजा का लाभ प्राप्त करें।  Navchandi Pooja नवचण्डी पूजा का विधान

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