शिव के अघोर रूप का राज, आखिर क्यों लगाते हैं भस्म

 


शिव के अघोर रूप का राज, आखिर क्यों लगाते हैं भस्म  - The secret of the Aghor form of Shiva, why do we use ashes


 

The secret of the Aghor form of Shiva, why do we use ashes -शिव के अघोर रूप का राज, आखिर क्यों लगाते हैं भस्म  गुरु माँ निधि श्रीमाली जी के अनुसार शिव त्रिदेवों में सबसे सर्वश्रेष्ठ. जिनका नाम लेने से ही इंसान जन्म और मृत्यु के चक्र से आजाद होकर मोक्ष को प्राप्त हो जाता है. उन्हें पाने के लिए पूजा-अनुष्ठान से लेकर तीर्थ तक लोग करते हैं. उनके सभी रूपों का ध्यान करके उन्हें प्रसन्न करने की इच्छा रखते हैं. वैसे तो शिव का हर रूप सुंदर है. लेकिन अघोरी रूप सबसे खूबसूरत है. इस रूप के बारे में बतलाया जाता है कि भगवान शिव अपने शरीर पर भस्म लगाते हैं. भांग-धतूरे का सेवन कर मदमस्त रहते हैं. धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक शिव को हमेशा श्मशान में बैठे, गले में नाग, माथे के बीच में आंख, जटाओं में चंद्रमा और मां गंगा को धारण किए हुए वर्णित किया गया है. लेकिन, उनका शरीर पर भस्‍म धारण करना भक्‍तों को बेहद चौंकाता है. The secret of the Aghor form of Shiva, why do we use ashes

गुरु माँ निधि श्रीमाली जी के अनुसार भगवान शिव जो भस्‍म अपने शरीर पर लगाते हैं, वह किसी धातु या लकड़ी को जलाकर बची हुई राख नहीं होती है. दरअसल वह भस्‍म जली हुई चिताओं के बाद बची हुई राख है. भस्म और भगवान शिव का रिश्ता सती के प्रति उनके प्रेम से भी जुड़ा है. सती के आग में कूद कर जान देने की खबर जब शिव जी के मिली तो वह बेहद क्रोध‍त हो गए और उनके शव को लेकर भटकने लगे. उनको इस हाल में देखकर विष्‍णु जी ने सती के मृत शरीर को भस्म में बदल दिया. पत्‍नी वियोग में तड़प रहे शिव ने इस भस्‍म को अपने तन पर लगा लिया, ताकि इन कणों के जरिए सती हमेशा उनके साथ ही रहें. हिन्दू मान्यताओं में शिवजी संसार को नष्ट करने वाले हैं. हमेशा श्मशान में बैठकर मृत्यु का इंतजार करते हैं. मृत व्यक्ति को जलाने के पश्चात बची हुई राख में उसके जीवन का कोई कण शेष नहीं रहता. न उसके दुख, न सुख, न कोई बुराई और ना ही उसकी कोई अच्छाई बचती है. इसी भस्‍म को शरीर पर लगाकर भगवान शिव खुद को मृत आत्मा से जोड़ते हैं. साथ ही राख को भगवान शिव अपने तन पर लगाकर सम्मानित करते हैं, जिससे उनके सारे दोष दूर हो जाते हैं  The secret of the Aghor form of Shiva, why do we use ashes

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