संतान प्राप्ति और बाधक ग्रह
संतान प्राप्ति और बाधक ग्रह - Santan parapti
Santan parapti - संतान प्राप्ति और बाधक ग्रह गुरु माँ निधि श्रीमाली जी ने बताया है की संतान’... यह एक ऐसा शब्द है जिसका महत्व माता-पिता से अधिक ना कोई समझ सकता है और ना ही इस एहसास को समझा सकता है। शादी के कुछ सालों बाद हर दंपित को संतान सुख की चाहत होती है। महिलाओं के लिए तो मातृत्व सुख की अनुभूति का वर्णन करना भी आसान नहीं है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि संतान सुख की प्राप्ति होगी या नहीं ये कुंडली में ग्रहों की कैसी दशा है इस पर भी निर्भर करता है। Santan parapti
किसी भी जन्म कुं डली में पंचम भाव संतान भाव होता है। पंचम भाव में स्थित ग्रह, पंचम भाव का स्वामी ग्रह तथा उस भाव को देखने वाला ग्रह यह सब आपके संतान के सम्बन्ध में विशेष जानकारी देता है। संतान सुख के लिए कुंडली के पंचम स्थान, पंचमेश, पंचम स्थान पर शुभाशुभ प्रभाव व बृहस्पति का विचार मुख्यत: किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार मेष, मिथुन, सिंह, कन्या ये राशियाँ अल्प प्रसव राशियाँ हैं। वृषभ, कर्क , वृश्चिक, धनु, मीन ये बहुप्रसव राशियाँ हैं। पांचवें या सातवें स्थान में सूयर् एवं राहु एक साथ हों। पांचवें भाव का स्वामी बारहवें स्थान में व बारहवें स्थान का स्वामी पांचवें भाव में बैठा हो और इनमें से कोई भी पाप ग्रह की पूर्ण दृष्टि में हो।तो सन्तान सुख में बाधा के योग बनते है। पंचमेश पाप ग्रहों के मध्य हो तथा पँचम स्थान पर पाप ग्रह हो ,शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो संतान सुख बाधित होता है। आठवें स्थान में शुभ ग्रह स्थित हो साथ ही पांचवें तथा ग्यारहवें घर में पापग्रह हों। सप्तम स्थान में मंगल-शनि का योग हो और पांचवें स्थान का स्वामी त्रिक स्थान में बैठा हो। तो ये सब ग्रहः स्थित सन्तान सुख में बाधक बनती है पंचमेश अशुभ नक्षत्र में हो तो संतान प्राप्ति में विलंभ होता है। पंचम का राहु पहली संतान के लिए अशुभ होता है। Santan parapti
गुरु ,लग्न व चन्द्र से पांचवें स्थान पर पाप ग्रह हों तो सन्तान सुख में बाधा होती है पंचम भाव में शनि-मंगल के साथ हो या दृष्टी संबंध रखता हो तो उस जातक के जीवन में सन्तान का अभाव या सन्तान से पीडा़ रहती है स्त्री जातिकाओ की कुं डली मे अगर दशम में मंगल , पंचम में शनि दूसरे पांचवे या ग्यारहवें राहु गया हो तो गभर्पात के कारण संतान सुख का अभाव की संभावना बनती है। Santan parapti
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