द्वादशी का श्राद्ध क्यों और किसके लिए किया जाता है।



 द्वादशी का श्राद्ध क्यों और किसके लिए किया जाता है। - Dwadashi shraadh 

Dwadashi shraadh द्वादशी का श्राद्ध क्यों और किसके लिए किया जाता है। गुरु माँ निधि श्रीमाली जी ने ब्त्राया है की जिन लोगों का देहांत इस दिन अर्थात तिथि अनुसार दोनों पक्षों (कृष्ण या शुक्ल) द्वादशी तिथि हो हुआ है उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है। 22 सितम्बर को द्वादशी श्राद्ध रहेगा। Dwadashi shraadh

द्वादशी तिथि को उन लोगों का श्राद्ध भी किया जाता है जिन्होंने स्वर्गवास के पहले संन्यास ले लिया था। उनका देहांत किसी भी तिथि को हुआ हो परंतु श्राद्ध पक्ष की द्वादशी तिथि को उनका श्राद्ध जरूर करना चाहिए। इस तिथि को 'संन्यासी श्राद्ध' के नाम से भी जाना जाता है। एकादशी और द्वादशी में वैष्णव संन्यासी का श्राद्ध करते हैं। अर्थात् इस तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किए जाने का विधान है, जिन्होंने संन्यास लिया हो। Dwadashi shraadh
इस दिन पितरगणों के अलावा साधुओं और देवताओं का भी आह्‍वान किया जाता है। Dwadashi shraadh
इस दिन संन्यासियों को भोजन कराया जाता है या भंडारा रखा जाता है।
इस तिथि में 7 ब्राह्मणों को भोजन कराने का विधान है। Dwadashi shraadh

इस श्राद्ध में तर्पण और पिंडदान के बाद पंचबलि कर्म भी करना चाहिए। Dwadashi shraadh

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