पितृपक्ष की कैसे हुई शुरुआत? महाभारत में छिपा श्राद्ध का पौराणिक रहस्य



 पितृपक्ष की कैसे हुई शुरुआत? महाभारत में छिपा श्राद्ध का पौराणिक रहस्य - Pitra Paksh 

Pitra Paksh  पितृपक्ष की कैसे हुई शुरुआतमहाभारत में छिपा श्राद्ध का पौराणिक रहस्य   गुरु माँ निधि श्रीमाली जी ने बताया है की जिस किसी के परिजन चाहे वो विवाहित हों या अविवाहित हों, बच्चा हो या बुजुर्ग, स्त्री हो या पुरुष उनकी मृत्यु हो चुकी है उन्हें पितर कहा जाता है,   पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है. पितरों के प्रसन्न होने पर घर में सुख शांति आती है.  मान्यता है कि जब महाभारत के युद्ध में दानवीर कर्ण का निधन हो गया और उनकी आत्मा स्वर्ग पहुंच गई, तो उन्हें नियमित भोजन की बजाय खाने के लिए सोना और गहने दिए गए. इस बात से निराश होकर कर्ण की आत्मा ने इंद्र देव से इसका कारण पूछा. तब इंद्र ने कर्ण को बताया कि आपने अपने पूरे जीवन में सोने के आभूषणों को दूसरों को दान किया लेकिन कभी भी अपने पूर्वजों को भोजन दान नहीं दिया. तब कर्ण ने उत्तर दिया कि वो अपने पूर्वजों के बारे में नहीं जानता है और उसे सुनने के बाद, भगवान इंद्र ने उसे 15 दिनों की अवधि के  लिए पृथ्वी पर वापस जाने की अनुमति दी ताकि वो अपने पूर्वजों को भोजन दान कर सके. इसी 15 दिन की अवधि को पितृ पक्ष के रूप में जाना जाता है Pitra Paksh   

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