गणपति प्रथम पूज्य देव क्यों

 


गणपति प्रथम पूज्य देव क्यों ? - Why is Ganpati the first worshiped god ?


 

Why is Ganpati the first worshiped god ? - गणपति प्रथम पूज्य देव क्यों ? गजानन गणपति को प्रथम देव कहा जाता है और किसी मांगलिक कार्य के प्रारम्भ से पहले गणपति की स्थापना एवं पूजा का विधान युगों-युगों से चला आ रहा है। प्रथम देव का तात्पर्य क्या है ? सामान्य रूप से समझे तो प्रथम का तात्पर्य मुखिया से लिया जाता है अर्थात् प्रधान व्यक्तित्व।एक ऐसा मुखिया अथवा प्रधान व्यक्तित्व, जो जहाँ पर स्थित हो, वहां आने वाली किसी भी समस्या का सामना करने में सक्षम हो, जो अन्य व्यक्ति उसके साथ हैं. उनकी सुरक्षा करने का सामर्थ्य हो, दूरदृष्टि से आने वाले समय को पहचान सके। यह सभी क्षमतायें गजानन गणपति में देखने को प्राप्त होती है, इसलिये प्रथम देव कहलाते हैं Why is Ganpati the first worshiped god ?

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की आराधना सबसे पहले की जाती है। कोई भी प्रमुख व्रत, त्योहार, विवाह और अनुष्ठान बिना भगवान गणेश की आराधना किए शुरू नहीं किया जा सकता। सभी देवी-देवताओं में प्रथम पूज्य देवता भगवान गणेश ही हैं। शास्त्रों के अनुसार अगर शुभ कार्य में भगवान गणेश की पूजा वंदना नहीं होती है वह कार्य कभी भी सफल नहीं होता है। शास्त्रों में भगवान गणेश की सर्वप्रथम पूजा करने के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं। गणपति जहां भी विराजमान हो जाते हैं, वहां किसी प्रकार की विघ्न बाधा उपस्थित नहीं होती है और समस्त कार्य निर्विघ्न सम्पन्न होते चले जाते हैं। यही कारण है कि विवाह के समय परिवार में प्रथम स्थापना गणपति की जाती है। प्रथम निमंत्रण भी गणपति को दिया जाता है।  Why is Ganpati the first worshiped god ? 

ऐसे बने गणेशजी अग्रपूज्य देवता
पौराणिक कथा के अनुसार,एक बार माता पार्वती स्नान करने से पहले अपने पुत्र गणेश को आदेश दिया कि जब तक मैं नहाकर न निकलूं तब तक किसी को भी अंदर न आने देना। बालक गणेश अपनी माता की आज्ञा का पालन करते हुए बाहर पहरेदारी करने लगे। जब भगवान शिव वहां आए ,तो बालक ने उन्हें अंदर आने से रोका और बोले अन्दर मेरी मां नहा रही है, आप अन्दर नहीं जा सकते। शिवजी ने गणेशजी को बहुत समझाया, कि पार्वती मेरी पत्नी है। पर गणेशजी नहीं माने तब शिवजी को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने गणेशजी की गर्दन अपने त्रिशूल से काट दी और अन्दर चले गये, जब पार्वतीजी ने शिवजी को अन्दर देखा तो बोली कि आप अन्दर कैसे आ गये। मैं तो बाहर गणेश को बिठाकर आई थी। तब शिवजी ने कहा कि मैंने उसको मार दिया। तब पार्वती जी रौद्र रूप धारण क्र लिया और कहा कि जब आप मेरे पुत्र को वापिस जीवित करेंगे तब ही मैं यहाँ से चलूंगी अन्यथा नहीं। शिवजी ने पार्वती जी को मनाने की बहुत कोशिश की पर पार्वती जी नहीं मानी। सारे देवता एकत्रित हो गए सभी ने पार्वतीजी को मनाया पर वे नहीं मानी। तब शिवजी ने विष्णु भगवान से कहा कि किसी ऐसे बच्चे का सिर लेकर आये जिसकी माँ अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही हो। विष्णुजी ने तुरंत गरूड़ जी को आदेश दिया कि ऐसे बच्चे की खोज करके तुरंत उसकी गर्दन लाई जाये। गरूड़ जी के बहुत खोजने पर एक हथिनी ही ऐसी मिली जो कि अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही थी। गरूड़ जी ने तुरंत उस बच्चे का सिर लिया और शिवजी के पास आ गये। शिवजी ने वह  सिर गणेश जी के लगाया और गणेश जी को जीवन दान दिया,साथ ही यह वरदान भी दिया कि आज से कही भी कोई भी पूजा होगी उसमें गणेशजी की पूजा सर्वप्रथम होगी । इसलिए हम कोई भी कार्य करते है तो उसमें हमें सबसे पहले गणेशजी की पूजा करनी चाहिए, अन्यथा पूजा सफल नहीं होती।  Why is Ganpati the first worshiped god ?

इस सितम्बर माह में होने वाला महालक्ष्मी व्रत एवं अनुष्ठान जों की 3 सितम्बर से 18 सितम्बर तक चलेगे यह 16 दिन माता लक्ष्मी के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहेगे अगर आप धन प्राप्ति चाहते है और माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद चाहते है तो इस अनुष्ठान में हिस्सा लीजिये
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