नवरात्री का तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा देवी


    

   Maa Chandraghanta devi - माँ चन्द्रघंटा देवी 

 Maa Chandraghanta devi  - माँ चन्द्रघंटा देवी  गुरु माँ निधि श्री माली जी ने बताया है की नवरात्रि का आज तीसरा दिन है. नवरात्र का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) को समर्पित होता है. माता के माथे पर चमकते हुए चंद्रमा के  कारण ही उनका यह नाम पड़ा. मां चंद्रघंटा को देवी पार्वती का रौद्र रूप माना जाता है. इस दिन माँ की पूजा करने से आरोग्य, सुख सम्पदा , कष्ट निवारण, पाप और बाधाओ से मुक्ति हो जाती है मां चंद्रघंटा शेरनी की सवारी करती हैं. माता का शरीर सोने के समान चमकता है. उनकी 10 भुजाएं है. उनकी चार भुजाओं  में त्रिशूल, गदा, तलवार,और कमंडल है वहीं, पांचवा हाथ वर मुद्रा में है. जबकि, मां की अन्य भुजाओं में कमल, तीर, धनुष और जप माला हैं और पांचवा हाथ अभय मुद्रा में है. इनके दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं और इनकी मुद्रा युद्ध की है  Maa Chandraghanta devi 


मां चंद्रघंटा का पसंदीदा भोग

दूध से बनी मिठाई का भोग लगाने से देवी मां प्रसन्न होती है. ऐसा करने से भक्त के शारीरिक और मानसिक कष्ट दूर हो जाते हैं. 


माँ चंद्रघंटा का महत्व

गुरु माँ निधि श्री माली जी ने बताया है की माता के इस स्वरुप की आराधना से व्यक्ति के सभी पाप और विघ्न नष्ट हो जाते हैं। इनकी पूजा हमेशा फलदायी होती है। मां भक्तों के कष्टों का शीघ्र निवारण करती हैं। उपासक सिंह के समान पराक्रमी और निडर हो जाता है। उनकी घंटी की आवाज हमेशा उनके भक्तों को भूत-प्रेत से बचाती है। 

माँ का रूप नम्रता और शांति से भरा है। इनकी पूजा करने से वीरता-निर्भयता के साथ-साथ सौम्यता एवं विनम्रता का विकास होता है और चेहरे, आंखों और पूरे शरीर की सुंदरता में वृद्धि होती है। वाणी में दिव्य, अलौकिक माधुर्य समाहित हो जाती हैं। मां चंद्रघंटा के भक्त और उपासक जहां भी जाते हैं, लोग उन्हें देखकर शांति और खुशी का अनुभव करते हैं।  Maa Chandraghanta devi

माता के उपासक के शरीर से दिव्य प्रकाशमान परमाणुओं का अदृश्य विकिरण निकलता रहता है। यह दिव्य क्रिया साधारण नेत्रों से दिखाई नहीं देती, परन्तु साधक तथा उसके संपर्क में आने वाले लोग इसका भली-भांति अनुभव कर सकते  हैं। वहीं देवी साधक की हर प्रकार से रक्षा करती हैं।

हमें अपने मन, वचन, कर्म और शरीर को निर्धारित विधि-व्यवस्था के अनुसार पूर्ण रूप से शुद्ध और पवित्र होकर माता चंद्रघंटा की शरण में जाना चाहिए। उनकी पूजा से हम आसानी से सभी सांसारिक कष्टों से मुक्त होकर सहज ही परमपद के अधिकारी बन सकते हैं।  Maa Chandraghanta devi

हमें उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखते हुए साधना की ओर निरंतर अग्रसर होने का प्रयास करना चाहिए। 

पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

यह श्लोक सर्वसाधारण की पूजा करने के लिए सरल और स्पष्ट है। मां जगदम्बा की भक्ति प्राप्त करने के लिए नवरात्रि के तीसरे दिन इसे कंठस्थ कर जप करना चाहिए।  Maa Chandraghanta devi

 

          ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥  

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