कुंडली में कालसर्प दोष का प्रभाव
कुंडली में कालसर्प दोष का प्रभाव - Effect Of KaalSarp Dosh
Effect Of Kaalsarp Dosh - कुंडली में कालसर्प दोष का प्रभाव गुरु माँ निधि श्रीमाली जी ने बताया है की जब कुंडली में राहु और केतु के मध्य में
सारे ग्रह आ जाते हैं तब कुंडली में कालसर्प योग बनता है। कालसर्प योग दो शब्दों
को मिलाकर बना है। इसमें पहला शब्द है काल, यानि मृत्यु और दूसरा शब्द है - सर्प, जिसका तात्पर्य सांप से है। कुंडली में
कालसर्प योग के प्रभाव से व्यक्ति को मानसिक कष्ट सहना पड़ता है।
काल सर्प दोष के लक्षण Effect Of Kaalsarp Dosh
कुंडली में कालसर्प दोष हो तो जातक को कई तरह के कष्टों का सामना करना पड़ता है. कालसर्प दोष होने पर व्यक्ति शारीरिक और आर्थिक रूप से हमेशा परेशान रहता है.कुछ जातकों को इस दोष की वजह से संतान संबंधी कष्ट भी उठाने पड़ते हैं. मतलब या तो वो संतानहीन रहता है या फिर संतान रोगी होती है. कालसर्प दोष होने पर जातक की नौकरी भी बार-बार छूटती रहती है और उसे कई कर्ज भी लेना पड़ जाता है.इसके साथ ही जातकों को कई अन्य परेशानियां होती हैं। मानसिक एवं शारीरिक कष्ट का होना, पैतृक संपत्ति का नष्ट होना, भाई-बंधुओं से धोखा, संतान से कष्ट, शत्रुओं से निरंतर भय, बुरे स्वप्न एवं अनिद्रा रोग, कोर्ट कचहरी का सामना उपरोक्त सभी परिस्थितियां कालसर्प योग के प्रभावों का संकेत करती हैं। कुंडली में काल सर्प योग तो ज्योतिष की सलाह से इसका निवारण करना चाहिए. Effect Of Kaalsarp Dosh
काल सर्प दोष के प्रकार: Effect Of Kaalsarp Dosh
जातक के जीवन में इस दोष के प्रभाव में भिन्नताएं हैं। काल सर्प दोष के विभिन्न प्रकार हैं।
अनंत काल सर्प दोष:
यह तब बनता है, जब राहु को 1 वें घर में और केतु को 7 वें घर में रखा जाता है, जहां दोनों ग्रहों के बीच शेष 7 ग्रह बैठे होते हैं।
2. कुलिक काल सर्प दोष:
यह दोष तब बनता है जब राहु 2 वें घर में और केतु 8 वें घर में हो और दोनों ग्रहों के बीच में शेष 7 ग्रह स्थित हों।
3. वासुकी काल सर्प दोष:
यह दोष तब बनता है जब राहु तीसरे घर में हो और केतु 9 वें घर में हो और दोनों के बीच में शेष 7 ग्रह उपस्थित हो।
4. शंखपाल काल सर्प दोष:
यह दोष तब बनता है जब राहु चौथे घर(भूमि, भवन, माता से मिलने वाले सुख के घर) में होता है और केतु 10 वें(आजीविका के घर) घर में होता है और शेष 7 ग्रह एक दिशा में दोनों के बीच में हो।
5. पदम काल सर्प दोष:
यह दोष तब बनता है जब राहु 5 वें घर में और केतु 11 वें घर में होता है और दोनों के बीच में शेष 7 ग्रह एक ही दिशा में उपस्थित होते हैं।
6. महापद्म काल सर्प दोष:
यह दोष तब बनता है जब राहु छठे घर में होता है और केतु 12 वें घर में हो और बाकी बचे 7 ग्रह दोनों के बीच में स्थित हो।
7. तक्षक काल सर्प दोष:
यह दोष तब बनता है जब राहु 7 वें घर में और केतु 1 घर में बैठा होता है और दोनों के बीच में शेष 7 ग्रह एक ही दिशा में बैठे होते हैं।
8. कर्कोटक काल सर्प दोष:
यह दोष तब बनता है जब राहु 8 वें(मृत्यु, अपयश, दुर्घटना, साजिश का घर) घर में होता है और केतु 2 वें (धन एवं कुटुम्ब) घर में होता है। सूर्य से शनि तक सभी शेष 7 ग्रह एक ही दिशा में एक गोलार्द्ध में दोनों ग्रहों के बीच में होते हैं।
9. शंखनाद काल सर्प दोष:
यह दोष तब बनता है जब राहु 9 वें घर में और केतु तीसरे घर में, बाकी बचे हुए 7 ग्रह एक ही दिशा में दोनों ग्रहों के बीच स्थित होते हैं।
10. घृत काल सर्प दोष:
यह दोष तब बनता है जब राहु 10 वें घर में होता है और केतु 4 वें घर में होता है। सूर्य से शनि तक सभी शेष 7 ग्रह एक ही दिशा में एक गोलार्द्ध में दोनों ग्रहों के बीच में होते हैं।
11. विषधर काल सर्प दोष:
यह दोष तब बनता है जब राहु 11 वें घर में होता है और केतु 5 वें घर में होता है और दोनों के बीच में शेष 7 ग्रह एक ही दिशा में उपस्थित होते हैं।
12. शेषनाग काल सर्प दोष:
यह दोष तब बनता है जब राहु 12 वें घर में होता है और केतु 6 वें घर में होता है। सूर्य से शनि तक सभी शेष 7 ग्रह एक ही दिशा में एक गोलार्द्ध में दोनों ग्रहों के बीच में होते हैं।
काल सर्प दोष निवारण उपाय Effect Of Kaalsarp Dosh
रविवार, पंचमी तिथि और अश्लेषा नक्षत्र के दिन नागराज और अन्य सर्प देवताओं की पूजा करना लाभदायक होता है। नाग पंचमी पर उपवास करें और इस दिन नाग देवता की पूजा करें या भगवान कृष्ण से प्रार्थना करें और शनिवार या पंचमी पर 11 नारियल नदी में अर्पित करें।
अन्न का दान करना उत्तम है, पशुओं को खाना खिलाना, पेड़ों की रक्षा करना भी काल सर्प योग से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
पंचाक्षरी मंत्र, यानी ओम नमः शिवाय का जप करना या प्रतिदिन कम से कम 108 बार महा मृत्युंजय मंत्र जाप करना, इस दोष को कुंडली में दूर करने का एक प्रभावी तरीका है।
राहु के बीज मंत्र का 108 बार जाप करें और हाथ में अकीक यानि अगेट रत्न की अंगूठी बनवाकर धारण करें।
हर शनिवार को पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना बहुत प्रभावी माना जाता है।
नदी पर धातु से बने नाग और नागिन के 108 जोड़े चढ़ाने और सोमवार को रुद्र अभिषेक करना एक प्रभावी उपाय है। काल सर्प दोष को दूर करने में गायत्री मंत्र का जप भी महत्वपूर्ण है।
सांप और अन्य सरीसृपों को कभी नुकसान न पहुंचाएं। विशेष रूप से षष्ठी तिथि पर नौ सर्पों के वंशों के नामों का 21 बार जप करें। अमावस्या के दिन, किसी सपेरे से सांप लेकर उसे जंगल में छोड़ आएं।
सूर्य के सामने स्नान करने के बाद गायत्री मंत्र का 21 बार या 108 बार जप करें। गायत्री मंत्र सभी मंत्रों की माँ है और जो लोग इसे ईमानदारी और श्रद्धा से जपते हैं तो गायत्री मां उनकी रक्षा करती हैं। Effect Of Kaalsarp Dosh
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