अधिकमास का महत्व
अधिकमास का महत्व 2023 – Importance Of Adhikmaas
Importance Of Adhikmaas :- इस साल अधिकमास होने के कारण इसका असर तिथियों और व्रतों पर भी पड़ेगा इस बार 13 माह का साल होगा | जहा एक तरफ इस साल की शुरुआत रविवार से हुई है ठीक वैसे ही इस साल कृष्ण पक्ष रवि प्रदोष भी 3 बार आ रहे है इस बार अधिकमास होने से चार महीने का चातुर्मास 148 दिन का हो जायेगा एसा इसलिए हो रहा है क्योकि इस साल 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक मास की अवधि रहेगी गुरु माँ निधि श्रीमाली जी ने बताया है की अधिकमास हर 3 साल बाद आता है जों की पीछे की ओर चलता है यानी वर्ष 2018 में अधिकमास भाद्रपद में था तो वर्ष 2020 में आश्विन माह में था और अब इस बार सावन महीने में होगा वर्ष 2022 में देवशयनी एकादशी पर 10 जुलाई से चातुर्मास शुरू हुआ था इस दौरान चातुर्मास की अवधि 117 दिन की थी | इस साल में देवशयनी एकादशी या 29 जून से चातुर्मास से प्रारम्भ होगा जों 23 नवम्बर को देवउठनी एकादशी के दिन समाप्त होगा | इस साल के तीज त्यौहार वर्ष 2022 के मुकाबले 12 से 19 दिन की देरी से आयेगे पौराणिक मान्यता के अननुसार इस अधिकमास का कोई स्वामी नहीं होने के कारण देवताओं ने इसे अशुभ माना है और इसमें किसी भी तरह के मांगलिक कार्यो को कैसे करना है इसको लेकर संशय खड़ा हो गया तब भगवान् श्रीविष्णु नी उनसे कहा की आज से इस अधिकमास को अपना नाम देता हु इसलिए उन्होंने इसे चातुर्मास कहा | Importance Of Adhikmaas
गुरु माँ निधि श्रीमाली जी के अनुसार पूर्णिमा व् अमावस्या के व्रत को सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है इस बार अधिकमास के कारण 12 अमावस्या और 13 पूर्णिमा आएगी Importance Of Adhikmaas
अमावस्या – पितृ दोष मुक्ति का पर्व
हर माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या के नाम से जानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव होते हैं। ऐसे में इस तिथि में देवी-देवताओं का पूजन, स्नान-दान और पितरों के निमित तर्पण और श्राद्ध कर्म करना शुभ होता है। Importance Of Adhikmaas
कब किस तारीख को अमावस्या
- माघ अमावस्या – 21 जनवरी
- फाल्गुन माह -19 फरवरी
- चैत्र अमावस्या – 21 मार्च
- वैशाख अमावस्या – 19 अप्रैल
- ज्येष्ठ अमावस्या -19 मई
- आषाढ़ अमावस्या – 17 जून
- सावन अमावस्या – 17 जुलाई
- अधिक मास अमावस्या – 16 अगस्त
- भाद्रपद अमावस्या – 14 सितंबर
- अश्विन अमावस्या – 14 अक्टूबर
- · कार्तिक अमावस्या – 13 नवंबर
- मार्गशीर्ष अमावस्या – 12 दिसंबर
अमावस्या को करे ये अचूक उपाय Importance Of Adhikmaas
- इस दिन काली चींटियों को शकर मिला हुआ आटा खिलाएं। ऐसा करने से आपके पाप-कर्मों का क्षय होगा और पुण्य-कर्म उदय होंगे। यही पुण्य-कर्म आपकी मनोकामना पूर्ति में सहायक होंगे।
- जिसे कालसर्प दोष हो, उन व्यक्तियों को अमावस्या के दिन किसी अच्छे पंडित से अपने घर में शिवपूजन एवं हवन करवाना चाहिए।
- अमावस्या की रात्रि अगर आप काले कुत्ते को तेल चुपड़ी रोटी खिलाते हैं और उसी समय वह कुत्ता यह रोटी खा लेता है तो इस उपाय से आपके सभी दुश्मन उसी समय से शांत होना शुरू हो जाएंगे।
- अमावस्या के दिन पितरो का श्राद्ध व् तर्पण करने से , पितरो की आत्मा को शान्ति मिलेगी
- अमावस्या के दिन दान का विशेष महत्व है उस दिन गरीब और जरूरतमंद लोगो को दान करे
पूर्णिमा • दान-पुण्य का पर्व
हर माह शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा कहते हैं। हिंदू पंचांग की तिथि चंद्रमा के अनुसार ही बदलती है। पूर्णिमा के दिन दान और स्नान का महत्व है। इस दिन सत्यनारायण भगवान व्रत कथा करना शुभ होता है। प्रत्येक वर्ष में 12 पूर्णिमा होती हैं, इस बार अधिकमास के कारण 13 पूर्णिमा पड़ेगी। Importance Of Adhikmaas
किस महीने पूर्णिमा व्रत कब
- पौष पूर्णिमा व्रत – 16 जनवरी को था
- माघ पूर्णिमा – 5 फरवरी
- फाल्गुन पूर्णिमा – 7 मार्च
- चैत्र पूर्णिमा – 5 अप्रैल
- बुद्ध पूर्णिमा – 5 मई
- देव स्नान पूर्णिमा – 3 जून
- गुरु पूर्णिमा – 3 जुलाई
- · श्रावण पूर्णिमा – 30 अगस्त
- भाद्रपद पूर्णिमा – 29 सितंबर
- शरद पूर्णिमा – 28 अक्टूबर
- कार्तिक पूर्णिमा – 27 नवंबर
- मार्गशीर्ष पूर्णिमा -26 दिसंबर
पूर्णिमा को करे ये अचूक उपाय
- पूर्णिमा के दिन पति-पत्नी चंद्रमा को दूध का अर्घ्य अवश्य ही देना चाहिए, इससे दांपत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है।
- पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय चंद्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर मंत्र- ‘ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमसे नम:’ का जप करना उत्तम रहता है।
- पूर्णिमा पर पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है। सुबह उठकर पीपल के पेड़ के सामने कुछ मीठा चढ़ाकर जल अर्पित करें।
- इस दिन तुलसी के पत्ते या बिल्वपत्र नहीं तोड़ना चाहिए साथ ही तुलसी के साथ भगवान विष्णु की आराधना करना चाहिए। विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र पाठ करना, विष्णु आरती लाभप्रद है।
- इस दिन नदी, कुंड या सरोवर में स्नान करने करने से लाभ मिलता है। इस दिन स्नान का कई गुणा फल मिलता है। अगर आप किसी नदी में स्नान करने नहीं जा सकें तो घर में पानी में गंगाजल मिला कर स्नान करें।
शुक्ल पक्ष 3 गुरु प्रदोष और कृष्ण पक्ष 3 रवि प्रदोष होंगे
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली जी के अनुसार हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत आता है, जो महीने में दो बार कृष्ण पक्ष व शुक्ल पक्ष में आता है। जो भगवान शिव की कृपा पाने के लिए होता है।
इस साल शुक्ल पक्ष में तीन गुरु प्रदोष व कृष्ण पक्ष में तीन रवि प्रदोष पड़ेंगे। दरअसल, प्रदोष व्रत सोमवार के दिन होता है तो इसे सोम प्रदोष कहते हैं। यदि मंगलवार के दिन आता है तो इसे भौम प्रदोष कहते हैं और शनिवार के दिन इसे शनि प्रदोष कहते हैं। यह व्रत सूर्यास्त के समय पर निर्भर करता है। साल का पहला प्रदोष शुक्ल पक्ष का था जिसका व्रत 4 जनवरी को था । Importance Of Adhikmaas
कब किसी तिथि को प्रदोष
- कृष्ण पक्ष प्रदोष 19 जनवरी को
- शुक्ल पक्ष गुरु प्रदोष 2 फरवरी को, कृष्ण पक्ष शनि प्रदोष 18 फरवरी को
- शुक्ल पक्ष शनि प्रदोष 4 मार्च को, कृष्ण पक्ष रवि प्रदोष 19 मार्च को
- शुक्ल पक्ष प्रदोष 3 अप्रैल को कृष्ण पक्ष प्रदोष 17 अप्रैल को
- शुक्ल पक्ष प्रदोष 3 मई को, कृष्ण पक्ष प्रदोष 17 मई को
- शुक्ल पक्ष गुरु प्रदोष 1 जून को कृष्ण पक्ष गुरु प्रदोष 15 जून को
- शुक्ल पक्ष प्रदोष 1 जुलाई को, कृष्ण पक्ष शुक्र प्रदोष 14 जुलाई को
- शुक्ल पक्ष रवि प्रदोष 30 जुलाई को, कृष्ण पक्ष रवि प्रदोष 13 अगस्त को
- शुक्ल पक्ष प्रदोष 28 अगस्त को, कृष्ण पक्ष भौम प्रदोष 12 सितंबर को
- शुक्ल पक्ष प्रदोष 27 सितंबर को, कृष्ण पक्ष प्रदोष 11 अक्टूबर
- शुक्ल पक्ष गुरु प्रदोष 26 अक्टूबर को, कृष्ण पक्ष (धनत्रयोदशी), शुक्र प्रदोष 10 नवंबर
- शुक्ल पक्ष शुक्र प्रदोष 24 नवंबर को, प्रदोष व्रत तिथि दिसंबर में
- कृष्ण पक्ष रवि प्रदोष 10 दिसंबर को, शुक्ल पक्ष रवि प्रदोष 24 दिसंबर को
प्रदोष के दिन करे ये उपाय
- प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के मंदिर में जाकर एक नारियल अर्पित करते हुए अच्छी सेहत की कामना करें।
- लगातार पति-पत्नी के बीच छोटी से छोटी बात पर विवाद होता रहता है, तो प्रदोष व्रत पर एक मौली लेकर माता पार्वती और शिव जी के चारों ओर सात बार लपेट दें। इसके बाद हाथ से धागा तोड़ दें। ऐसा करने से दांपत्य जीवन में खुशियां आएगी।
- लगातार धन संपत्ति में बढ़ोत्तरी के लिए प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के साथ बेलपत्र अर्पित करें। इससे पैसों की तंगी से छुटकारा मिल जाएगा।
- बिजनेस में दिन दोगुनी रात चौगुना तरक्की चाहते हैं, तो प्रदोष व्रत की शाम को शिव मंदिर जाकर 5 रंगों से मिलाकर एक रंगोली बनाएं और उसके बीच में घी का दीपक जलाएं। इसके साथ ही भगवान शिव का ध्यान करते हुए अपनी कामना कहें।
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