महाशिवरात्रि का मुहूर्त और महत्व।
महाशिवरात्रि व्रत के दिन महादेव की कृपा पाने के लिए इस ब्लॉग को पढ़ें। जानें क्यों महाशिवरात्रि को माना जाता है महत्वपूर्ण और जानें इसकी पूर्व और उत्तरार्ध में समय। इस साल महाशिवरात्रि 8 मार्च को है। आइए जानते हैं क्यों और कैसे मनाई जाती है महाशिवरात्रि।
महाशिवरात्रि का मुहूर्त और महत्व।
अवधि - 49 मिनट्स
9 मार्च को, शिवरात्रि पारण समय 06:37 AM से 03:29 PM
8 मार्च रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय 06:25 PM से 09:28 PM
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय- 09:28 PM से 12:31 AM, मार्च 09
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय- 12:31 AM से 03:34 AM, मार्च 09
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय 03:34 AM से 06:37 AM, मार्च 09
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ- मार्च 08, 2024 को 09:57 PM बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त मार्च 09, 2024 को 06:17 PM बजे
सर्वार्थ सिद्धि योग- 06:38 AM से 10:41 AM
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है |
धार्मिक मान्यताओं अनुसार महाशिवरात्रि के ही दिन मध्य रात्रि में यानी आधी रात में भगवान शिव, लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। भगवान शिव की लिंग रूप में सबसे पहले पूजा भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु ने की थी। कहते हैं इसलिए इसी दिन से महाशिवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाया जाने लगा। शास्त्रों के अनुसार माता लक्ष्मी, माता सरस्वती, माता गायत्री, माता सीता, माता रति और माता पार्वती ने भी अपने जीवन के उद्धार के लिए महा शिवरात्रि के व्रत का पालन किया था। गुरु माँ कहते हैं इस व्रत को करने से जीवन में सुख और शांति आती है। महाशिवरात्रि को लेकर प्रचलित एक अन्य कथा के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने रात्रि में तांडव नृत्य किया था जिसे सृजन और विनाश की अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाता है।
महाशिवरात्रि पूजा विधि |
हर महा शिवरात्रि की तरह इस शिवरात्रि गुरु माँ निधि जी श्रीमाली द्वारा अपने संसथान में महाशिवरात्रि पर महारुद्रभिषेक का आयोजन किया जाये गा भक्त गन हर महाशिवरात्रि को इस पूजा में भाग ले कर इस पूजा को सफल बनाते है और भगवन शिव का विशेष आशीर्वाद उनको मिलता है तो आप भी हर बार की तरह पूजा में जुड़ कर इस महारुद्रभिषेक को सफल बनाये और भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त करे
पूजा से जुड़ने के लिए सम्पर्क करे - 9929391753
महा शिवरात्रि के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं और नहा धोकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। फिर शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाएं। इस दिन जल, शुद्ध घी, दूध, चीनी, शहद और दही से शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें। इसके बाद धूप, दीपक, फल और फूल आदि से भगवान शिव की विधि विधान पूजा करें। इसके अलावा इस दिन शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें। अगर व्रत रखा है तो अन्न का सेवन न करें। हालांकि फल का सेवन कर सकते हैं। भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के बाद दान-पुण्य करें।
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