हनुमान जयंती कितना तारीख को है?

 हनुमान जयंती 23 अप्रैल को मनाई जाएगी 



भगवान शंकर के अवतार हनुमान
हनुमानजी भगवान शंकर के ग्यारहवें रुद्र अंशावंतार हैं। कलियुग में हनुमानजी को शक्तिशाली देवता माना गया है। उनकी पूजा एवं भक्ति करने वाले को बुद्धि, बल, यश, आरोग्यता, चतुरता, वाकपटुता की प्राप्ति होती है। भक्ति और शक्ति में हनुमानजी अतुलनीय हैं। हनुमान नाम में अमोघ शक्ति है। उनके नाममात्र से भूत, प्रेत, पिशाच भाग जाते हैं।

बलशाली हनुमान राम भगत
अतुलित बल संपक्ष रामभक्त शिरोमणि हनुमानजी का जन्म चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। गुरु माँ निधि श्रीमाली जी कहते है  भक्तों में अग्रगण्य और अत्यंत बलशाली जितेंद्रीय श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमानजी का जीवन भारतीय जन मानस के लिए सदा प्रेरणादायी रहा है।  हनुमानजी श्रीराम के ऐसे भक्त हैं, जिन्हें प्रभु के सिवा कुछ नहीं चाहिए। जैसाकि उन्होंने भगवान राम से माला उपहार में मिलने के बाद सामने ही कहा, 'हे प्रभु, मैंने इसके दाने-दाने देख लिए कहीं भी आप नहीं है। मैं इसका क्या करूं।' तब उन्होंने श्रीराम को अपना हृदय चौस्कर दिखाया कि जब आप मेरे हृदय में हैं तो मुझे कुछ भी नहीं चाहिए। अपने प्रभु के लिए कुछ भी करने को भक्त हनुमान सदा तत्पर रहते हैं। अपने पराक्रम का बखान हनुमानजी ने कभी नहीं किया और कभी अपने किए का श्रेयं भी स्वयं नहीं लिया। उन्होंने जो भी किया, उसका श्रेय प्रभु श्रीराम को ही दिया। ऐसी अनन्य भक्ति इस संसार में बिरलों को ही प्रास होती है। यदि पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ उनका आश्रय ग्रहण कर लें तो प्रभु दर्शन में कुछ भी विलंब नहीं होगा। जैसाकि तुलसीदासजी ने स्वयं अनुभव किया और प्रभु श्रीराम के दर्शन किए।

हनुमान जी के जन्म का रहस्य      
श्रीहनुमानजी के जन्म के संदर्भ में बहुत सी कथाएं हैं। रामायण एवं पुराणों में कल्पभेद से लिखी सभी कथाओं के समन्वय से यह सिद्ध होता है कि वायुदेवता की उपासना के फलस्वरूप वानरराज केसरी की धर्मपत्नी अंजनी के गर्भ से प्रलयंकर भगवान रुद्र अवतरित हुए। इसीलिए उन्हें पवनतनय, शंकरसुवन, केसरीनंदन कहा गया है। रुद्रावतार होने के कारण हनुमानजी को शंकर सुवन, वायुदेवता की उपासना के उपरांत पैदा होने के कारण पवन तनय तथा अंजनी एवं वानरराज केसरी के घर में जन्म लेने के कारण अंजनीपुत्र-केसरीनंदन कहा जाता है। इस आधार पर हनुमान के लौकिक माता-पिता अंजनी एवं केसरी हैं। श्रीहनुमान को सर्वशास्त्रों का ज्ञाता माना जाता है।

       


क्या करे हनुमान जयंती  के दिन
हनुमान जयंती के दिन हनुमानजी का पूजन एवं नाम संकीर्तन आदि सत्संग के कार्य करने चाहिए। हनुमानजी की उपासना से सभी ग्रहों के दोष दूर हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त आज के युवाओं एवं बालकों के मानस पटल पर अच्छी छाप डालने के लिए शारीरिक शक्ति प्रदर्शन के खेल होने चाहिए तथा उसमें यह उद्देश्य होना चाहिए कि जैसे हनुमान ने सर्वाधिक शक्तिशाली होने पर भी अपनी शक्ति का कभी भी अनावश्यक उपयोग नहीं किया, बल्कि जनकल्याण का काम किया, वैसे ही हम भी करें। बाज के पेवाओं को भी भारतीय संस्कृति के इस अद्वितीय वीर को जीवनगाथा से प्रेरणा लेनी चाहिए।


हनुमानजी मात्र परम प्रतापी बलशाली ही नहीं, ज्ञानियों में अग्रगण्य कुशल वक्ता भी है। जैसाकि प्रभु राम को जब सबसे पहले हनुमानजी मिले तो उन्होंने लक्ष्मण से कहा, 'हे लक्ष्मण, मालूम पड़ता है कि इस व्यक्ति ने समस्त व्याकरणशास्त्र का खूब अध्ययन किया है।'


हनुमानजी की साधना से दैविक-भौतिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। इसीलिए कहा गया है - अष्टसिद्धि नवनिधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता ॥


हनुमान जयंती पर प्रभु कृपा के लिए निम्न उपाय करें-
■ इस दिन सुंदरकांड का पाठ करने से घर में सुख शांति आती है और क्लेश दूर होते हैं। इस दिन से लगातार 41 दिनों तक सुंदरकांड का पाठ करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।


■ इस दिन हनुमानजी को चमेली का तेल और सिंदूर लगाने से कष्टों से टों से मुक्ति मिलती है।


■ कोई मुकदमे या जेल में बंदी हो तो मुक्ति के लिए 108 बार संकटमोचन का पाठ करें।

द्वादशाक्षर हनुमान मंत्र


ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हूं फट


यह मंत्र कोर्ट-कचहरी में व शत्रुओं पर विजय दिलाने वाला, वंश एवं पराक्रम बढ़ाने वाला है। इसके प्रभाव से शत्रु निर्बन हो जाते हैं।

अष्टदशाक्षर  मंत्र


ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय महाबलाय स्वाहा


इस मंत्र के जाप से जातक की संपत्ति, सुख और आयु में वृद्धि होती है।




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