सूर्य का परि भ्रमण और फल |

 प्रकृति का यह नियम है कि सौर मण्डल में जितने भी ग्रह हैं वे अपनी धुरी पर अपनी सीमा के

अंतर्गत घूमते रहते हैंऔर उनका प्रभाव प्राणी के जीवन पर पड़ता रहता है।

गुरु माँ निधि जी श्रीमाली कहते है की ज्योतिष शास्त्र में सात ग्रहों का परिभ्रमण जब अलग-

अलग राशि यों में होता है, तो उसका प्रभाव भी भिन्न - भिन्न होता है। ग्रहों का विभिन्न राशियों

पर परिभ्रमण चद्रं कंुडली से देखा जाता है। चद्रं कंुडली एवं कंुडली का बराबर महत्व है।

कुडली में दशा- अंतरदशा अगर अच्छी हो एवं ग्रहों का भ्रमण विपरीत हो, तो दशा सामान्य

प्रति फल देती है, लेकिन दशा के साथ ग्रहों का भ्रमण अनुकूल हो तो दशा अपना पूर्ण फल देती है

आइये जानते है गुरु माँ निधि श्रीमाली जी के अनुसार सूर्य का परिभ्रमण और उसके प्रभाव

सूर्य का परिभ्रमण और फल:-


1. सर्यू चन्द्र कंु डली अनसु ार चंद्रमा से प्रथम भाव में होने पर मान-सम्मान में कमी,

धनहानि , बीमारी, भय तथा परिवार से दूरी तथा स्वभाव में धैर्य न होते हुए उग्रता

को बढ़ाता है।

2 सूर्य जब चंद्रमा से द्वितीय भाव में भ्रमण करता है तो धन हानि आर्थिक संकट

परिवार के साथ मतभेद देता है

3. तीसरे भाव में जब सूर्य भ्रमण करता है व्यक्ति को नए पद की प्राप्ति स्वास्या सुधार,

शत्रु पर विजय पारिवारिक एवं मान-सम्मान में वृद्धि देता है।

4. चतुर्थ भाव में जब सूर्य का परिभ्रमण होता है तो घर मेंअशांति क्लेश, बीमारी आर्थिक

कष्ट एवं वैवाहि क सुख में कमी आती है।

5.पंचम भाव में भ्रमण करते समय मानसिक परेशानी, बीमारी, दुर्घटना, अधिकारि यो से

परेशानी तथा परिवार से दूरी कराता है।

6.छठे भाव मेंभ्रमण के समय सूर्य शत्रुओ का नाश करता है। खुशि या तथा मानसि क शांति

देता है। जातक को प्रत्येक कार्य में सफलता मि लती है।

7.चंद्रमा सेसप्तम भाव मेंभ्रमण करतेउदर एवंमूत्राशय संबंधी रोग तथा के साथ आपसी

समझ मेंकमी देता है

8.अष्टम भाव मेंहोनेपर आकस्मि क घटनाये घटि त होती है। आर्थि क तंगी, धन रोग एवं

लडाई-झगड़ेकराता है।

9.नवम भाव मेंभ्रमण के समय मानसि क परेशानि या, धन हानि , शत्रुओंका बढ़ाना तथा

उनसेकष्ट, अनायास खर्च , मान सम्मान मेंकमी देता है।

10. दशम भाव मेंभ्रमण के समय प्राणी की इच्छाओंकी पूर्ति होती है। उसेउच्च पद

मि लता हैतथा उपहार एवंसुख शांति मि लती है

11.एकादश भाव भ्रमण के समय मेंमि त्रों का समागम, घर मेंशादी- उत्सवों का होना एवं

नए संबंधों को बढ़ाता है। जातक को सुख की प्राप्ति होती है।

12.द्वादश भाव मेंभ्रमण करतेसमय मानसि क सोच मेंकमी, आर्थि क हानि , खर्च का

बढ़ना तथा घर एवंबाहर दुर्घटना होनेका भय रहता है।

अर्था त चद्रं कंु डली से सर्यू 3, 6,10 तथा 11वेंभाव मेंभ्रमण करते समय शभु फल प्रदान

करता है।




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