Surya Chandra Amavasya Yog | सूर्य चंद्र अमावस्या योग




Surya Chandra Amavasya Yog | सूर्य चंद्र अमावस्या योग


आज हम आपके सामने सूर्य और चंद्र के अमावस्या योग के निवारण की पूजा की जानकारी लेकर उपस्थित हुए है | आपको आज सूर्य चंद्र के अमावस्या योग के निवारण की पूजा की विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे । Surya Chandra Amavasya Yog

सूर्य और चंद्र अमावस्या दोष

सूर्य और चंद्र अमावस्या दोष यदि किसी की कुंडली में होता है तो वो व्यक्ति अपने जीवन में आगे नहीं बढ़ पाता उसकी उन्नति और तरक्की रुक जाती है। कई बार व्यापार में उन्नति नहीं कर पाता। नौकरी नहीं मिल पाती | नौकरी मिलती है तो बार बार एक अस्थिरता नौकरी में बने रहना | नौकरी में प्रमोशन नहीं मिल पाना पारिवारिक कलह का वातावरण होना | घर में रोगों का वास होना स्वास्थ संबंधी समस्या जीवन में उत्पन्न होते रहना और पूरा परिवार इस अमावस्या योग से ग्रसित हो जाता है प्रभावित होता है क्योंकि व्यक्ति अपने परिवार से जुड़ा होता है तो व्यक्ति पर यदि इस योग का प्रभाव पड़ता है तो वो उसके पूरे परिवार को प्रभावित करता है। Surya Chandra Amavasya Yog

पूजन दो प्रकार स होता है-

  • अब इस अमावस्या योग के निवारण की पूजा किस प्रकार संपन्न की जाए कैसे विधिविधान से इस योग का निवारण किया जाए | तो हमारे संस्थान में ये पूजा संपन्न करवाई जाती है दो तरीकों से पूजा की जाती है। या तो यजमान हमारे यहां आकर बैठ कर और पूजा करते हैं | Surya Chandra Amavasya Yog

  • या फिर ऑनलाइन क्योंकि समय का महत्व बहुत है और आजकल लोग दूरी को देखते हुए अपने समय को बचाने की चेष्टा करते हैं इसीलिए ऑनलाइन पूजा के माध्यम से भी ये पूजा संपन्न की जाती है। अब आपके मन में प्रश्न उठेगा कि ऑनलाइन पूजा से क्या हमें उतना के उतना रिजल्ट मिलेगा जितना हम बैठकर पूजा करते हैं।  आप ब्राह्मण के द्वारा ही करवाते हैं। पंडित के द्वारा ही करवाते है | वो कहते है वैसा आप करते चले जाते है | सबसे पहले संकल्प लेते हैं तो संकल्प की प्रक्रिया ऑनलाइन भी हमारे माध्यम से आपके लिए की जाती है और जो संकल्प आपके नाम से छोड़ा जाए उस पूजा का फल उसी यजमान को प्राप्त होता है उसी व्यक्ति को प्राप्त होता है जिसके नाम से संकल्प छोड़ा गया है तो इसीलिए ऑनलाइन पूजा भी उतनी ही प्रभावशाली है | जितना कि आप कहीं जाकर या किसी को पंडित को बुलाकर आप बैठकर पूजा करें उतनी प्रभावशाली ऑनलाइन पूजा भी जाती है। Surya Chandra Amavasya Yog

संकल्प की प्रक्रिया

  • सबसे पहले तो संकल्प की प्रक्रिया जो आपको बता दें कि यजमान के नाम से संकल्प लिया जाता है। संकल्प से पहले हम ये पूजा उसी यजमान के नाम से शुभ तिथि मुहूर्त वार समय ये सभी देखते हुए हमारे दिमाग में इन चीजों को ध्यान में रखते हुए उसके बाद में एक निश्चित तिथि एक निश्चित दिन निश्चित तारीख तय की जाती है उसी दिन ये पूजा संपन्न की जाती है तो पहले संकल्प लिया जाता है।
  • संकल्प के माध्यम से पंडित जो भी संकल्प बोलते हैं उस यजमान को भी उस संकल्प को दोहराना पड़ता है। उसके लिए आपको अपना नाम पिता का नाम और गोत्र बताना चाहिए।
  • यदि किसी को अपना गोत्र पता नहीं है तो सरनेम जरूर ध्यान में रखना चाहिए। संकल्प के पश्चात पूजा में प्रथम पूज्य गणेश जी का आह्वान किया जाता है आप जानते हैं कि गणेश जी के आह्वान के बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है उस पूजा का पूरा फल प्राप्त नहीं होता। इसलिए सबसे पहले गणपति जी का आह्वान किया जाता है।

षोडश-मातृका पूजन विधि

  • उसके बाद षोडश मातृका का आह्वान किया जाता है षोडश मातृका बाजोट के ऊपर सोलह माताएं बनाई जाती है और सोलह माताओं में आपकी कुलदेवी यानि यजमान की कुलदेवी भी शामिल होती है |
  • षोडश मातृका और आपकी कुलदेवी का आह्वान किया जाता है।

नौ ग्रह पूजन विधि

  • उसके बाद में नौ ग्रह का पूजन किया जाता है नवग्रह के पूजन के बाद सभी देवी देवताओं का आह्वान भी किया जाता है |
  • जिससे ये जो प्रक्रिया हर पूजा में दोहराई जाती और इससे उस पूजा का फल सभी देवी देवता उसके साक्षी बनते हैं तो उस पूजा का फल उस यजमान को प्रभावशाली रूप से और सकारात्मक रूप से प्राप्त होता है।
  • सभी देवी देवताओं के पूजन के बाद में 10 दिग्पाल आदि देवता प्रत्याशी देवता नाग देवता इन सभी का पूजन भी संपन्न किया जाता है
  • उसके बाद में सूर्य चंद्र का अमावस्या योग है इसीलिए सूर्य देवता और चंद्र देवता का भी आह्वान किया जाता है उनके मंत्रों का उच्चारण किया जाता है |
  • उसके पश्चात इस पूजा में सूर्य चंद्र अमावस्या योग निवारण यंत्र को स्थापित किया जाता है। इस यंत्र को स्थापित करने का उद्देश्य है कि इस पूजा में वो यंत्र प्राण प्रतिष्ठित अभिमंत्रित और सिद्ध हो जाता है और पूजा के पश्चात इस यंत्र को यजमान के यहां भेजा जाता है यजमान को दिया जाता है |
  • तो यजमान जब पूजा कक्ष में उस यंत्र को स्थापित करते हैं और उसके नित्यप्रति दर्शन करते हैं तो उसका पूजा का फल उसका प्रभाव और अधिक उस यजमान को सकारात्मक रूप में प्राप्त होता है और उस दोष का निवारण हो जाता है।

हवन की प्रक्रिया

  • उसके पश्चात में हवन प्रारंभ होता है। हवन में सूर्य ग्रह की आहुतियां चंद्र ग्रह की आहुतियां और उसके साथ में ग्रह शान्ति मंत्रों के द्वारा हवन में आहुतियां दी जाती है।
  • उसके बाद क्षमा याचना और समापन की विधि की जाती है जिसमें हम सभी देवी देवताओं से प्रार्थना करते हैं कि यदि पूजा में हमसे किसी भी प्रकार की त्रुटि हो गयी तो हमसे मंत्र उच्चारण में कोई त्रुटि में कोई त्रुटि हो गयी हो पूजन सामग्री में कोई कमी हो तो हमें माफ करें और इस पूजा का फल हमें प्रदान करे |
  • तो ये पूजा पूजन क्षमा याचना के बिना पूरी नहीं होती। क्षमा याचना से यजमान को उस पूजा का सार्थक फल प्राप्त होता है।
  • उसके बाद में अंत में ब्राह्मण के द्वारा उस यजमान को आशीर्वाद दिया जाता है और जब ब्राह्मण देवता के द्वारा यजमान को आशीर्वाद प्राप्त हो जाये तो वो पूजा उस यजमान को फलीभूत हो जाती है।
  • इस प्रकार सूर्य चंद्र के अमावस्या दोष निवारण की पूजा हमारे द्वारा संस्थान में विधि विधान से की जाती है |

और इस पूजा का फल अब तक कई लोगों को प्राप्त हुआ है। तो आप भी हमारे इस पूजा से जुड़ सकते हैं अगर आपकी कुंडली में ऐसा कोई योग बना हुआ है | सूर्य चंद्र का अमावस्या योग है तो आप हमसे संपर्क करके अपनी पूजा बुक करवा सकते हैं। जय श्रीराधे कृष्णा |

Comments